पटना । बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इस बार बिहार चुनाव कई मायनों में खास होगा। दरअसल चुनावी रणनीतिकार कहे जाने वाले प्रशांत किशोर चुनावी मैदान में उतरे है। उनकी जनसुराज पार्टी भी बिहार चुनाव में ताल ठोक रही है। जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर खुद बिहार में घूम-घूम कर लोगों के बीच जा रहे हैं और जदयू, राजद, कांग्रेस तथा बीजेपी पर एक साथ हमला बोल रहे हैं। इस बीच जनता दल (यूनाइटेड) के एक पार्षद ने पीके को लेकर एक बड़ा दावा किया है।
जदयू विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा है कि जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर जदयू में आए थे, तब अपने लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उपमुख्यमंत्री का पद मांगा था। ये सिर्फ कुर्सी के लिए काम करते हैं ना कि जनता के लिए काम करते है। नीतीश कुमार ने इन्हें काफी सम्मान दिया पर, वे उन्हीं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं। ये शुद्ध रूप से कारोबारी हैं। पैसा खपाने के लिए उन्होंने यह पार्टी (जनसुराज पार्टी) बनाया है। संजय सिंह ने प्रशांत किशोर पर जमकर प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश ने बिहार को नई पहचान दी। जंगलराज से निकलकर आज बिहार देश में सबसे अधिक तेजी से विकास करने वाला राज्य है।
बता दें कि साल 2015 में बिहार में नीतीश की जीत का श्रेय प्रशांत किशोर को ही दिया जाता है। साल 2018 में पीके जेडीयू के उपाध्यक्ष बनाए गए थे। हालांकि, साल 2020 में प्रशांत किशोर जदयू से अलग हो गए थे। बताया जाता हैं कि नागरिकता संसोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर संसद के अंदर जदयू द्वारा नरेंद्र मोदी सरकार का समर्थन करने के बाद प्रशांत किशोर की जदयू के प्रति तल्खी बढ़ गई थी।
पीके ने सवाल उठाया था कि पार्टी की बैठक में नीतीश ने सीएए और एनआरसी पर आपत्ति जाहिर की थी लेकिन संसद में पार्टी ने मुद्दे पर सरकार का समर्थन कैसे कर दिया था। प्रशांत किशोर कई बार यह दावा कर चुके हैं कि सीएए-एनआरसी के मुद्दे पर गतिरोध होने की वजह से ही उन्होंने जेडीयू का दामन छोड़ा था। बता दें कि अभी पीके जनसुराज पार्टी के लिए ताबड़तोड़ बिहार बदलाव यात्रा कर रहे हैं। इस यात्रा के तहत पीके ने बिहार की हर विधानसभा सीट पर जाकर लोगों से मिलने की बात पहले ही कही थी।