विश्व की सबसे प्राचीन मां नर्मदा की मूर्ति जबलपुर में स्थित है. जो कलचुरी कालीन से विराजमान है. जहां कलचुरी राजाओं ने माता मकरवाहिनी की स्थापना की थी. यह मूर्ति 7 कुएं के ऊपर बनाई गई थी. ऐसा कहा जाता है कि मूर्ति दिन में तीन बार रंग बदलती है. यह मूर्ति करीब 1000 साल पुरानी है. मूर्ति में कई प्रकार के भगवान भी बने हुए हैं. जिसमें शिल्पकारों की कला भी दिखाई देती हैं. कलचुरी कालीन मकरवाहिनी मंदिर कमानिया गेट के नजदीक स्थित है.

इतिहासकार आनंद राणा के मुताबिक उत्तर और दक्षिण के मूर्ति शिल्प के मिलन के कारण मूर्ति बनाई गई. जिसे कलचुरी शिल्प के नाम से भी जाना गया. यही कारण है कि मूर्ति में अंकित देवी देवता चित्रित किए गए हैं. कलचुरी काल की यह प्रतिमा हजारों साल पुरानी है. इससे एक खूबसूरत इतिहास जुड़ा हुआ है. कलचुरी काल की स्थापना के बाद महान राजा कर्ण ने 1041 से 1072 तक शासन किया. जिन्हें उत्कृष्ट शासन के कारण उन्हें ‘त्रिलिंगाधिपति’ की उपाधि दी गई.

वर्षों पुरानी हैं मन्दिर की मान्यता
एक बार जब उन्होंने गंगा नदी में पैर रखा तो उन्होंने महसूस किया कि इस नदी में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं. इसके आधार पर राजा ने मकरवाहिनी की एक मूर्ति बनाई. इस मूर्ति पर अभी काफी शोध भी चल रहा है. मूर्ति टूटने की कगार पर थी लेकिन शहर के कुछ जिम्मेदार लोगों ने इसे बचाने के लिए अथक प्रयास किया. इसके बाद मूर्ति का पुनर्निर्माण किया गया. ऐसा कहा जाता हैं हल्कू हलवाई एक बहुत ही धार्मिक व्यक्ति थे. जो 1860 में जबलपुर में रहते थे. हल्कू को त्रिपुरी में खुदाई के दौरान मूर्ति के बारे में पता चला. उसने तुरंत अपने दो पराक्रमी पुत्रों को भेजा और उन्हें मूर्ति को अपने कंधों पर ले जाने के लिए कहा था.