सतना(अंबिका केशरी)। मैहर और सतना जिले में क्षय रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट बताती है कि जिला अस्पताल के साथ सिविल अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को मिलाकर हर दिन टीबी के 15 नए मामले आ रहे हैं। वर्ष 2024 मे ंजनवरी से अगस्त के बीच 8 महीनों की बात करें तो 3536 लक्ष्य के मुकाबले टीबी के 3319 नए मरीज सामने आए। इनमें से 820 पेशेन्ट प्राइवेट अस्पतालों ने खोजकर स्वास्थ्य विभाग के हवाले किए। नए रोगियों के मिलने की गति की बात करें तो टारगेट के मुकाबले अमरपाटन में और मझगवां में 104-104 फीसदी के अलावा सतना अर्बन में 195 प्रतिशत नए क्षयरोगी मिले। इन 8 महीनों में प्राइवेट अस्पतालों को जो टारगेट दिए गए थे उसके मुकाबले निजी स्वास्थ्य संस्थाओं ने भी 672 लक्ष्य के एवज में 820 रोगी मिले। ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले शहरी क्षेत्र के लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। यही वजह है कि शहरी क्षेत्र में गांव के मुकाबले अधिक लोग टीबी की चपेट में आ रहे हैं। ये बातें हम नहीं खुद स्वास्थ्य विभाग के आंकडे बता रहे हैं। चालू वर्ष के बीते 8 माह में सतना अर्बन में टीबी के अकेले 1355 नए मामले सामने आए, जबकि टारगेट 1296 मरीज खोजने का था। डॉक्टरों की मानें तो 40 फीसदी लोगों के शरीर में टीबी के कीटाणु होते हैं। लेकिन 40 में 2-3 फीसदी लोगों को ही कीटाणु प्रभावित कर पाते हैं। टीबी का कीटाणु उन्हीं लोगों को नुकसान पहुंचाता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। यह बैक्टीरिया खांसने, छींकने के दौरान एक से दूसरे लोगों के शरीर में प्रवेश करता है। अच्छी बात तो यह है कि टीबी अब जानलेवा बीमारी नहीं रह गई है। डॉक्टर बताते हैं कि इस बीमारी का सरकारी अस्पताल में हरसंभव इलाज उपलब्ध है। जिला अस्पताल समेत अन्य सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं के आंकडों की बात करें तो यहां रोज लगभग 130 से 150 पेशेंट टीबी होने की आशंका के चलते डॉक्टर को दिखाने आते हैं। इनमें से 50 से 60 लोगों के कफ की जांच कराई जाती है। इनमें से 14-15 टीबी के नए मरीज सामने आते हैं। पेशेंटों को अलग से भर्ती कर इलाज किया जाता है।