नई दिल्ली। पिछले एक दशक में आठ ट्रिलियन डॉलर का सार्वजनिक और निजी निवेश किया गया है। यह देश की आजादी के बाद से किए गए निवेश के आधे से अधिक है। डीएसपी एसेट मैनेजर्स के मुताबिक, 1947 में देश की आजादी के बाद से अब तक विभिन्न निवेश पर 14 ट्रिलियन डॉलर खर्च किए गए हैं। इसमें परिवारों द्वारा आवास पर खर्च, सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे के निर्माण पर खर्च और निजी पूंजी व्यय शामिल है।

वहीं सरकार ने पिछले 10 सालों में नए निवेश पर आठ ट्रिलियन डॉलर का खर्च किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार अपने प्रत्येक वार्षिक बजट में पूंजीगत व्यय आवंटन को बढ़ाती रही है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत निवेश को लेकर होने वाली हिचक से बाहर निकल आया है।

जीडीपी अनुपात के मुकाबले निवेश की बात करें तो यह 2011 में चरम था और यह तब तक कम रहा जब तक कि कोरोना के कारण हुए व्यवधान ने सप्लाई चेन को प्रभावित नहीं किया। हालांकि महामारी के बाद सुधार और सरकारी व्यय के माध्यम से बड़े पैमाने पर निवेश की वापसी हो रही है। वैश्विक स्थिति भले ही ठीक नहीं हो, लेकिन भारत का आधार मजबूत बना हुआ है।

रिपोर्ट में भारत के शेयर बाजारों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि भारत अब उभरते बाजारों में दूसरा सबसे बड़ा इक्विटी बाजार बन गया है। उभरते बाजारों में भारत की हिस्सेदारी 2020 में 7.8 प्रतिशत से बढ़कर वर्तमान में 17.7 प्रतिशत हो गई है। इस वृद्धि का श्रेय मुख्य रूप से कंपनियों के बढ़े हुए लाभ, उनकी तेज विकास दर और इक्विटी सूचकांकों के लगातार प्रदर्शन को दिया जाता है।