मंदसौर। जहां पिछले दिनों मंदसौर में जमीनी मामले की सुनवाई न होने से एक पीडि़त लौटते -लौटते कलेक्टर कार्यालय पहुंच गया था। वहीं आज फिर ऐसा ही एक मामला सामने आया है। यहां घरेलू जमीन के एक मामले में अपने ही परिजनों से पीडि़त दंपति की प्रशासनिक सुनवाई न होने से वे एक हाथ आवेदन तो दुसरे हाथ में जहर की पुडिय़ा लेकर उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और जिले की प्रभारी मंत्री निर्मला भूरिया से मिलने जिला योजना समिति की बैठक में पहुंचे। लेकिन राजस्व अमले ने उन्हें दोनों मंत्रियों से मिलवाने के बजाए एक कमरे में बंद कर दिया। इस मामले में मीडिया की दखल के बाद एडीएम ने आनन-फानन में अधिकारियों की एक टीम गठित कर मामले की जांच और कार्रवाई शुरू की। बता दे की प्रभारी मंत्री और उपमुख्यमंत्री जिला योजना समिति की बैठक ले रहे थे। तब तक इस दंपति की कोई सुनवाई नहीं हुई।
दरअसल गरोठ के राधेश्याम और रामकन्या बाई अपने परिवार की आवास की भूमि के बंटवारे को लेकर काफी परेशान है। वे पिछले 4 महीने से न्याय ले लिए प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। राधेश्याम के पिता को सरकारी पट्टे की जमीन पर आवास बनाने के लिए प्लाटआवंटित हुआ। लेकिन उसके पिता ने उस जमीन पर पहले ही उसके भाई और स्वयं के नाम 3 लाख का कर्ज ले लिया। परेशान दंपती मंदसौर पहुंचे, हालांकि यहां कलेक्टर आदिती गर्ग ने उनकी सुनवाई कर उन्हें हाथों-हाथ एक आवेदन पत्र निराकरण के लिए, तहसीलदार प्रियंका मिमरोत के नाम जारी किया। लेकिन पिछले 4 महीने से ना तहसीलदार और ना ही एसडीएम उनकी सुनवाई कर रहे है। इसी बात की शिकायत लेकर दंपति आज फिर उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और प्रभारी मंत्री निर्मला भूरिया से मिलने एक हाथ में आवेदन और दुसरे हाथ में जहर की पुडिय़ा लेकर मंदसौर पहुंचे। लेकिन राजस्व के अमले ने यहां भी उन्हें नहीं मिलने दिया। उल्टे उनको समझा बूझाकर एक कमरे में बंद कर दिया। हालांकि इस मामले में राम कन्या और राधेश्याम की सुनवाई के लिए अब तीन अधिकारियों का एक दल गठित हो गया है और निराकरण किया जा रहा है।