गोरखपुर । भाजपा के घोषित राज्यसभा प्रत्याशियों पर 2024 के सियासी समीकरण के साथ ही संगठन की छाप स्पष्ट दिखाई देती है। पार्टी ने छह में से तीन पिछड़े प्रत्याशी उतारकर स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि लोकसभा चुनाव में ओबीसी पर उसका खास फोकस रहेगा। वहीं विधानसभा चुनाव में हुए छिटकाव को रोकने की कवायद भी की गई है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी के जरिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ब्राह्मणों को साधने का प्रयास पार्टी ने किया है। निषाद समाज से जय प्रकाश की जगह इस बार बाबूराम निषाद को मौका दिया गया है। वहीं शिवप्रताप शुक्ला के समर्थकों ने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है। गोरखपुर सदर सीट से चार बार विधायक रहे राधामोहन दास अग्रवाल को लेकर विधानसभा चुनाव में अफवाहों का बाजार गर्म रहा। उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए सीट छोड़नी पड़ी थी। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने खुले तौर पर उन्हें सपा प्रत्याशी बनने का ऑफर दिया था। हालांकि उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी। पार्टी संगठन ने उनके धैर्य का इनाम उन्हें राज्यसभा टिकट देकर किया है। संगीता यादव 2017 में गोरखपुर की चौरी-चौरा सीट से विधायक बनीं। वर्ष 2022 में यह सीट निषाद पार्टी के खाते में चली गई। आईआरएस अधिकारी की पत्नी संगीता यादव भाजपा में बनीं रहीं और संगठन के संपर्क में भी रहीं। अब उन्हें उच्च सदन का एंट्री टिकट पुरस्कार में मिला है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी लगातार किनारे चल रहे थे। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें ज्वाइनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था। पार्टी ने उन्हें जहां विधानसभा चुनावों में मेहनत का इनाम दिया है। भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दर्शना सिंह ठाकुर हैं। चंदौली से आने वाली दर्शना सिंह लगातार भाजपा में सक्रिय हैं। राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर को भाजपा ने फिर मौका देकर नागर गुर्जर समुदाय को साधा है।