बीजिंग । यह चीनी स्पेस स्टेशन पूरी तरह से ऑपरेशनल हो चुका है।अमेरिका और चीन की दुश्मनी धरती से शुरू होकर अंतरिक्ष तक पहुंच चुकी हैं। चीन ने पिछले साल ही अमेरिका के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को चुनौती देने के लिए तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन को लांच किया था।  इसके बाद चीन की नजर अब चंद्रमा पर है। चीन ने चंद्रमा पर अपने अंतरिक्ष यात्रियों के रहने के लिए बेस स्टेशन बनाने का ऐलान किया है। यह बेस स्टेशन चीन के महत्वकांक्षी लूनर स्पेस एक्सप्लोरेशन प्रॉजेक्ट्स का एक हिस्सा होगा। 24 अप्रैल को चीन के अंतरिक्ष दिवस के मौके पर चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (सीएनएसए) के डिप्टी डायरेक्टर वू यानहुआ ने कहा कि चीन इस साल अपने चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम का चौथा चरण शुरू करेगा, जिसमें कई चीजें शामिल हैं। इस चरण का मुख्य लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर साइंटिफिक एक्सप्लोरेशन करना है, ताकि लंबे समय तक इंसानों के रहने योग्य एक स्थायी रोबोट मून बेस स्टेशन के निर्माण हो सके।
चीन के लूनर प्रोग्राम को तीन चरणों में बांटा है, पहला चरण "चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाना", दूसरा "चंद्रमा पर उतरना" और तीसरा चरण "चंद्रमा से लौटना है। वू यानहुआ के बयान से संकेत मिलता है कि चीन के लूनर प्रोग्राम का चौथा चरण संभवत चंद्रमा पर रहने के रूप में वर्णित किया जा सकता है। वू ने कहा कि चीन का प्रयास एक इसतरह के साइंस स्टेशन की स्थापना करना होगा जो सभी के लिए खुला होगा और विभिन्न देशों और संगठनों के साथ चलाया जाएगा
इस प्रॉजेक्ट के पहले चरण के लिए, चीन का लक्ष्य 10 वर्षों में आवश्यक सुविधाओं का सर्वेक्षण करना और उसके लिए जरूरी निर्माण करना है। उसके बाद, चीन ने परियोजना के दूसरे चरण के लिए विभिन्न देशों, संगठनों और निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ एक साइंस स्टेशन बनाने की योजना बनाई है। तीसरा और अंतिम चरण संचालन पर केंद्रित होगा, जहां स्टेशन दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए अच्छी फैसिलिटी प्रदान करेगा। वू ने कहा कि परियोजना के प्रथम चरण में चीन 2030 से पहले तीन लूनर प्रोब चांग'ई-6, चांग'ई-7 और चांग'ई-8 को लांच करेगा। इसमें से चांग'ई-6 चंद्रमा की दूर के इलाकों से नमूने एकत्र करेगा, जबकि चांग'ई-7चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी और अन्य संसाधनों की खोज करेगा। चांग'ई-8 का इस्तेमाल 3डी प्रिंटिंग तकनीक के लिए होगा। चंद्रमा की लगातार जांच के अलावा चीन कम्यूनिकेशन और नेविगेशन के लिए चंद्रमा के चारों ओर सैटेलाइटों की एक सीरीज भी स्थापित करेगा।