गीता जयंती पर करें ये काम...पितर होंगे खुश, अकाल मृत्यु का डर होगा दूर
हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है. इस तिथि को मोक्षदा एकादशी भी मनाई जाती है. सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपने परम शिष्य अर्जुन को गीता उपदेश दिया था. इसलिए मार्गशीर्ष महीने में गीता जयंती मनाई जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार गीता जयंती के दिन श्रीमद्भागवत गीता का संपूर्ण पाठ करने से लाखों अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल की प्राप्त प्राप्ति होती हैं.
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 दिसंबर को सुबह 03. 42 मिनट पर शुरू होगी और 12 दिसंबर को सुबह 01. 09 बजे समाप्त होगी. सनातन धर्म में उदया तिथि मान है. अतः 11 दिसंबर को गीता जयंती मनाई जाएगी
कर्म, भक्ति और ज्ञान योग की चर्चा
कि द्वापर युग में इसी दिन भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की भूमि पर अर्जुन को गीता उपदेश दिया था. श्रीमद्भागवत गीता में मानव जीवन के रहस्यों का वर्णन है. श्रीमद्भागवत गीता में कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग के बारे में विस्तार से बताया गया है. गीता का पाठ करने से जीवन के सभी रहस्यों से पर्दा उठ जाता है. कहते हैं कि गीता का पाठ जो व्यक्ति करता है वह कभी गलत कार्य और गलत मार्ग पर नहीं जाता बल्कि प्रभु भक्ति में लीन होकर जीवन को सफल बनाता है. श्रीमद्भागवत गीता में कुल 700 श्लोक हैं.
भूलकर भी न करें ये काम
श्रीमद् भागवत गीता का पाठ करते समय मन में श्रद्धा भक्ति भाव होने से भगवान कृष्ण हृदय में वास करके सभी आंतरिक व्याधियों खत्म कर देते हैं. यदि आपके मन में गीता का पाठ करते हुए श्रद्धा भक्ति भाव नहीं है तो कोई लाभ नहीं होगा. गीता का पाठ करने से मन को शांति और आध्यात्मिक विकास होता है. गीता जयंती पर यदि श्रीमद्भागवत गीता का पाठ किया जाए तो लाखों अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है जो कभी खत्म नहीं होता हैं. गीता का पाठ करने से भगवान श्री कृष्णा बहुत अधिक प्रसन्न होते हैं जिससे मोक्ष प्राप्ति का रास्ता खुल जाता है.