गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से पीड़ित गर्भवती महिला को डॉक्टरों ने पुनर्जीवन दिया। साथ ही उनके नवजात की जिंदगी बचाई। दरअसल, दिल्ली के एक निजी अस्पताल के कैंसर सेंटर (एसीसी) में मिजोरम निवासी 39 वर्षीय मरिना सीएच राल्टे आई। यहां गर्भावस्था के 16वें हफ्ते में जांच के दौरान पता चला कि वह कैंसर से पीड़ित है। जांच में सात सेंटीमीटर लंबे ट्यूमर की पहचान हुई। महिला की जांच के लिए बहुस्तरीय चिकित्सीय टीम तैयार की। इस टीम में मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, स्त्री रोग विशेषज्ञ, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, भ्रूण चिकित्सा विशेषज्ञ और विकिरण ऑन्कोलॉजिस्ट को शामिल किया। डॉक्टरों का कहना है कि यह मामला उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि एक तरफ महिला का कैंसर और दूसरी ओर गर्भावस्था थी। कैंसर की रोकथाम के साथ भ्रूण को सुरक्षित रखना था। मेडिकल टीम ने बच्चे की सुरक्षित डिलीवरी के लिए एक योजना बनाई और 37वें सप्ताह में लोअर सेगमेंट सिजेरियन सेक्शन (एलएससीएस) के जरिए एक स्वस्थ बच्ची का जन्म हुआ। सफल डिलीवरी के बाद रोगी को कीमो और रेडिएशन थेरेपी जारी रही और फिर ब्रैकीथेरेपी की गई, जो उपचार का एक विशेष रूप है जिसके तहत रेडिएशन थेरेपी को सीधे कैंसर स्थल पर पहुंचाते हैं। इस बारे में डॉ. पीके दास ने कहा कि यह मामला वास्तव में असाधारण था, जिसके लिए एक बहु-विषयक टीम की जरूरत होती है। हमारी प्राथमिकता मां और बच्चे दोनों को सुरक्षित रखना था। हम बार बार यही देख रहे थे कि कहीं दवाओं से गर्भ में शिशु को कोई नुकसान तो नहीं पहुंच रहा। डॉ. मनो भदौरिया ने कहा कि कैंसर के साथ गर्भावस्था काफी दुर्लभ मामला है। ऐसे मामले काफी चुनौतीपूर्ण होते हैं क्योंकि कभी-कभी मेडिकल टर्मिनेशन संभव नहीं होता।