नई दिल्ली। देह व्यापार से इन्कार करने पर युवती की हत्या करने के मामले में वांछित मुख्य आरोपित वीरेंद्र सिंह को क्राइम ब्रांच ने सालों तक जांच पड़ताल के बाद गिरफ्तार कर लिया। देह व्यापार से इन्कार करने पर युवती की हत्या करने के मामले में वांछित मुख्य आरोपित वीरेंद्र सिंह को क्राइम ब्रांच ने सालों तक जांच पड़ताल के बाद गिरफ्तार कर लिया। सालों तक पुलिस आरोपित को ढूंढने का प्रयास करती रही, लेकिन उसका कोई अता पता नहीं चला। अंतत: 2007 में किरायेदार सत्यापन फार्म पर आरोपित द्वारा चिपकाए गए फोटो के आधार कार्ड पर उसका पता लगा दबोच लिया गया। डीसीपी क्राइम ब्रांच के मुताबिक वीरेंद्र सिंह, वैशाली, बिहार का रहने वाला है। कालकाजी थाने में दर्ज हत्या व अन्य कई मामले में इसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। इस मामले का शिकायतकर्ता पेशे से प्रापर्टी डीलर है वह कमीशन के आधार पर मकान किराये पर देने का काम भी करता है। 2 जून 2007 को वीरेंद्र सिंह ने किराए के घर के लिए शिकायतकर्ता से संपर्क किया था। जिसपर उन्होंने वीरेंद्र सिंह तीन हजार एडवांस लेकर घर दिलवा दिया था। वीरेंद्र सिंह युवती के साथ अगले ही दिन घर में शिफ्ट कर गया था। वीरेंद्र ने शिकायतकर्ता को आश्वासन दिया कि वह शेष पैसे अगले दिन दे देगा। अगले दिन जब शिकायतकर्ता ने शेष राशि के लिए वीरेंद्र सिंह से संपर्क किया तो उसने यह कहकर टाल दिया कि वह दो तीन दिन के लिए दिल्ली से बाहर है। इसी बीच यह हादसा हो गया। सात जून 2007 को शिकायतकर्ता जब वीरेंद्र सिंह के आवास पर गए तो वहां ताला लगा हुआ था और अंदर से दुर्गंध आ रही थी। उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दे दी। दरवाजा खोलने के बाद घर में एक बड़ा ट्रंक मिला जिसमें युवती का शव था। कालकाजी पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच के बाद शंकर घोष को गिरफ्तार कर लिया। वीरेंद्र सिंह फरार था। मामला दर्ज होने के समय एएसआइ रमेश की तैनाती कालकाजी थाने में थी वह उस दौरान उक्त क्षेत्र के बीट अधिकारी थे, जहां हत्या हुई थी। उन्होंने वीरेंद्र सिंह का पता लगाने के लिए बहुत प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिला क्योंकि वह बार-बार स्थान बदल रहा था। कुछ समय बाद एएसआइ रमेश का वहां से तबादला हो गया और 2017 में उन्हें फिर से कालकाजी में तैनात किया गया। उन्होंने पता किया तो वीरेंद्र सिंह को फरार ही पाया गया।