हिमाचल प्रदेश की हॉट सीटों में शामिल हमीरपुर में चुनावी पारा चरम पर है। 2008 के उपचुनाव समेत जीत का चौका लगा चुके अनुराग ठाकुर पांचवीं बार मैदान में ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस ने पूर्व विधायक सतपाल रायजादा को मैदान में उतारा है। रायजादा स्थानीय व राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर भाजपा की तगड़ी घेराबंदी में जुटे हुए हैं। वहीं, पिछले चुनाव में महज 7095 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रही बसपा ने इस बार हेमराज को मैदान में उतारा है। ऐसा नहीं है कि हमीरपुर में भाजपा के लिए राहें बहुत सपाट हों। मतदाताओं के बीच सवाल खूब हैं। पर, ज्यादातर की बातें मुद्दों से शुरू होकर अगर-मगर के कई मोड़ों से गुजरते हुए मजबूत विकल्प नहीं होने पर पहुंचकर अटक जाती है। यह वह चीज है जो भाजपा को सुकून दे रही है। प्रदेश की चार लोकसभा सीटों में से हमीरपुर हाई प्रोफाइल में शुमार है। 93 फीसदी ग्रामीण आबादी वाली इस सीट पर 95 फीसदी से भी ज्यादा आबादी हिंदुओं की है। 2011 की जनगणना के अनुसार हिंदू आबादी से 23.75 फीसदी दलित, तो 1.46 फीसदी अनुसूचित जनजाति हैं। इस सीट पर 10 बार भगवा परचम फहराया, तो इसमें इन आंकड़ों का बहुत बड़ा रोल है। वहीं, पिछले चुनावों में जीत के मार्जिन के आंकड़े खुद-ब-खुद बता देते हैँ कि प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस कोसों दूर है। उसके सामने पहाड़ जैसे मार्जिन को भरने की बड़ी चुनौती है।

जोरदार हमले बोल रहे रायजादा
ऊना रायजादा का गढ़ है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का गृह नगर नादौन भी इसी लोकसभा सीट में आता है। रायजादा मुद्दों को लेकर बेहद तल्ख अंदाज में हमले बोल रहे हैं। वह अपनी सभाओं में कह रहे हैं-अनुराग अब चुनावी सभाओं में कहते फिर रहे हैं कि हमीरपुर तक रेल लाइन राज्य सरकार की वजह से नहीं पहुंची। अनुराग शायद भूल गए हैं कि सुक्खू सरकार को सत्ता संभाले महज 15 माह ही हुए हैं, इससे पहले तो भाजपा की जयराम सरकार ही थी। ऊना में आने वाली ट्रेनों की संख्या तो अनुराग गिनाते हैं, ये क्यों नहीं बताते कि हमीरपुर में रेल लाइन कितने इंच सरकी है? पीजीआई सेटेलाइट सेंटर के अधूरे काम पर भी वह सवाल उठाते हैं। वह तंज कसते हुए कहते हैं, अनुराग ठाकुर खुद तो लेफ्टिनेंट बन गए, लेकिन युवाओं को अग्निवीर बनाकर उनका भविष्य खराब कर दिया गया।

मुद्दों पर मुखर मतदाता
हमीरपुर के सुजानपुर टीहरा, नादौन और ऊना के साथ-साथ बडसर, कुटलैहड़, चिंतपूर्णी तक के सफर में एक बात तो साफ हो गई कि यहां भाजपा विरोधी स्वर कम नहीं हैं। पर, मोदी और अनुराग ठाकुर की छवि को लेकर भी उतनी ही चर्चाएं हैं। सबसे पहले हम कांग्रेस प्रत्याशी रायजादा के शहर ऊना पहुंचे। बिजली के उपकरण की मरम्मत में जुटे मनोहर लाल शर्मा की बूढी आंखें चुनाव का जिक्र करते ही चमक उठती हैं। उन्हें नाराजगी इस बात की है कि विधानसभा उपचुनाव का बोझ जनता पर डाला गया। वे भाजपा को घर तोड़ने वाला बताते हैं। यही नहीं बड़े ही आत्मविश्वास से दावा करते हैं कि कांग्रेस ही यहां जीत रही है। युवा व्यापारी आयुष कहते हैं, मैं ही नहीं, मेरी मित्र मंडली का भी मानना है कि अनुराग ठाकुर को क्षेत्र में एक बार आना चाहिए था। एक गहरी सांस लेते हुए वह कहते हैं, हमारी शिकायत वहां तक पहुंचे, हम सिर्फ यही चाहते हैं। पर, यह भी उतना ही सच है कि इस वक्त देश में एकमात्र विकल्प है, हमारा वोट उसी के नाम पर है। यानी किंतु-परंतु के साथ आयुष अपनी मंशा भी साफ कर देते हैं कि वह भाजपा के साथ हैं। कांग्रेस बेरोजगारी के मुद्दे पर हमले बोल रही है। जवाब में भाजपा व्यापार बढ़ने, युवाओं के लिए अवसर बढ़ने का दावा कर रही है। पर, बेरोजगारी का सवाल युवाओं को कहीं ज्यादा छू रहा है। कुटलैहड़ में मिले अभिषेक कहते हैं, रेलवे पर काम हुआ, पुल को मंजूरी मिली है, स्वास्थ्य सुविधाएं भी है, सेटेलाइट सेंटर बना है, पर रोजगार के लिए युवाओं को बाहर जाना पड़ रहा है। रवि भी अभिषेक से सहमत हैं। यू-ट्यूबर निखिल भी कहते हैं कि सरकार रोजगार का प्रबंध नहीं कर पाई। हम उसे सांसद चुनेंगे जो रोजगार देगा।

चर्चाओं में पीएम मोदी 
सुजानपुर टीहरा में सुबह-सुबह ही चूड़ी-बिंदी की अपनी दुकान सजा रहीं मीना चुनाव के सवाल पर चहकते हुए कहती हैं, अनुराग आते रहते हैं। हमसे मिलते हैं। मिठाई की अपनी दुकान को सजा रहे रांगड़ा कहते हैं, हम तो मोदी के साथ हैं। युवाओं के लिए इतना बड़ा स्टेडियम बनवा दिया। फिर आएंगे तो कुछ काम करेंगे। कांग्रेस ने किया ही क्या है? नादौन में जनरल मर्चेंट की दुकान पर मिले किशोर कुमार कहते हैं कि ऑनलाइन कारोबार ने सब चौपट कर रखा है। पर, इसके अलावा सभी व्यवस्थाएं अच्छी हैं। बंगाणा में मिले अंग्रेजी के प्रवक्ता अरविंद रत्न कहते हैैं कि अनुच्छेद 370, राममंदिर के वादे को पूरा कर मोदी ने देश का गौरव बढ़ाया है। ये चुनाव भविष्य का चुनाव है। चिंतपूर्णी में मिले हरबंश सिंह कहते हैं, हमारी तो कई पीढ़ियां अटल बिहारी वाजपेयी को देखते गुजरीं, अब मोदी जी हमारे नेता हैं।

प्रत्याशी चयन व प्रचार में देरी पड़ रही भारी
मतदाताओं से चर्चा में सामने आता है कि विधानसभा उपचुनाव में जिस तरह से गुटबाजी हुई उससे साफ है कि कांग्रेस के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं। प्रत्याशी चयन से लेकर प्रचार कार्य तक में देरी से हो रहे नुकसान की चर्चा भी लोगों के बीच है।