हिन्दू धर्म में वास्तु शास्त्र को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है और इसके अनुसार लगभग कार्यों को करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है. फिलहाल हम बात कर रहे हैं पूजा घर या पूजा के लिए स्थान की, जो कि कई घरों में हमें किचन में देखने को मिलता है. कई बार लोग ऐसा घर में स्थान की कमी के कारण भी करते हैं तो कई लोग किचन को पवित्र मानते हुए वहां देवी या देवताओं की मूर्ति स्थापित कर लेते हैं. लेकिन, क्या किचन और पूजा का स्थान यानी कि मंदिर का एक साथ होना ठीक है या इससे भी कोई दोष लग सकता है. क्या कहता है वास्तु शास्त्र? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से किचन और पूजा मंदिर से जुड़े नियमों के बारे में.

क्या किचन में पूजा का स्थान होना चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार किचन में कभी भी पूजा के लिए स्थान नहीं होना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि, किचन अग्नि तत्व से जुड़ा होता है और जब यहां पूजा के लिए स्थान रखते हैं तो दो शक्तियों बीच टकराव का प्रभाव आपके घर की सकारात्मक ऊर्जा पर पड़ सकता है. इसलिए आपको किचन में भूलकर भी पूजाघर नहीं बनाना चाहिए.

पवित्रता भी हो सकती है बाधित
यह तो सभी जानते हैं कि पूजा पाठ के लिए किसी भी तरह की तामसिक चीजों का उपयोग नहीं किया जाता है. जबकि, किचन में हर तरह की चीजों का उपयोग होता है. यदि आप शाकाहारी भी हैं तब भी लहसुन और प्याज का उपयोग लगभग किचन में होता ही है, जो कि तामसिक वस्तुएं मानी गई हैं. वहीं यहां उतनी सफाई नहीं रह पाती, जितनी मंदिर या पूजा के​ लिए अलग स्थान पर होती है. ऐसे में जब आप पूजा का स्थान किचन में रखते हैं तो इससे पवित्रता बाधित होती है.

पूजन में भी आ सकती है बाधा
आप जब भी मंदिर में या पूजा घर में पूजा कर रहे होते हैं तो वहां शांति का अनुभव करते हैं. क्योंकि, वहां का वातावरण भी अलग होता है और पूरी तरह से सकारात्मक ऊर्जा यहां मिलती है. वहीं बात करें किचन की तो यहां शांति नहीं होती और यहां ऊर्जा प्रवाह गतिशील होता है, जिससे आप जब किचन में पूजा के लिए स्थान बनाते हैं तो पूजा करते समय पूजन में कोई ना कोई बाधा आ सकती है.