नई दिल्ली । धान की कटाई शुरू हो चुकी है। इसके साथ ही दिल्ली की हवा में प्रदूषण का जहर घुलना भी शुरू हो चुका है और प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है। हालांकि, इस बार हवा की गुणवत्ता को और खराब करने में न सिर्फ स्थानीय कारण जिम्मेदार हैं, बल्कि पाकिस्तान से भी प्रदूषण का जहर उत्तर भारत की ओर आ रहा है। सैटेलाइट तस्वीरें स्पष्ट तौर पर दर्शा रही है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हरियाणा और भारतीय पंजाब की तुलना में अधिक पैमाने पर पराली जलाई जा रही है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस समय चल रही उत्तर-पश्चिमी हवाएं पाकिस्तान से उठने वाले धुएं को उत्तर भारत के कई राज्यों तक पहुंचा रही हैं। आने वाले दिनों में यह धुआं दिल्ली की हवा को और अधिक जहरीला बना सकता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को हरियाणा, पंजाब और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में पराली जलाने के 405 से अधिक मामले दर्ज किए गए। सरकार के एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग प्रोटेक्शन सिस्टम की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली की हवा में अगले दो से तीन दिनों में हवा में पीएम 2.5 का स्तर मानकों से दो गुना से ज्यादा पहुंच सकता है। वहीं 15 अक्टूबर के करीब हवा में प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है। गौरतलब है कि हर साल पराली जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं 15 अक्टूबर से 25 नवंबर के बीच ही दर्ज की जाती हैं। इसी दौरान दीपावली का पर्व भी आता है और हवा की गति बहुत धीमी होती है। पराली और दिवाली का धुआं मिलकर प्रदूषण की स्थिति को खतरनाक बना देते हैं। लगभग डेढ़ महीने तक दिल्ली-एनसीआर के लोग इस पराली के धुएं के चलते प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर होते हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट के प्रिंसिपल प्रोगाम मैनेजर, एयर पॉल्यूशन कंट्रोल, विवेक चट्टोपाध्याय कहते हैं कि हम हमेशा हरियाणा और पंजाब में पराली जलाए जाने की बात कर करते हैं। लेकिन ये भी सच है कि पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब में पिछले कुछ सालों से बड़े पैमाने पर पर पराली जलाए जाने के मामले सामने आते हैं। पानी बचाने के लिए भारत में चावल की बुआई के समय को एक महीने आगे बढ़ाया गया। जबकि पाकिस्तान में आज भी सितंबर में धान की कटाई हो जाती है। ऐसे में वहां पहले पराली जलाई जानी शुरू होती है। सेटलाइट से प्राप्त तस्वीरों में वहां बड़े पैमाने पर पराली जलाए जाने के मामले देखे जा सकते हैं। अक्टूबर और नवम्बर महीने में सामान्य तौर पर धीमीं उत्तर पश्चिमी हवाएं चलती हैं। ऐसे में पाकिस्तान में पराली जलाए जाने का प्रभाव वहां कम पड़ता है। सारा धुआं हवा के साथ उत्तर भारत के कई हिस्सों तक पहुंच जाता है। सरकार को माले डिक्लेरेशन के तहत इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना चहिए।