छतरपुर। नौ दिनों तक आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना में लीन लोगों ने दसवें दिन आरती करते हुए नम आंखों से मातारानी को विदा किया। वहीं दशहरे का पर्व होने के कारण लोगों को एक-दूसरे को तिलक लगाकर और गले मिलकर शुभकामनाएं दीं। विसर्जन के दौरान नाचते-गाते युवाओं की टोली जा रही थी। 
जिला मुख्यालय से लेकर जिले भर में नौ दिनों तक नवरात्रि की धूम रही। मातारानी का दरबार सजाकर दुर्गा उत्सव समितियों ने साधना की। रोज पूजा अर्चना और आरती प्रसाद का कार्यक्रम चलता रहा। दसवें दिन जब मातारानी के विदा होने का समय आया तो लोगों की आंखों से आंसू टपकने लगे। जिन मातारानी की आराधना करते रहे अब उनसे विदा लेने का वक्त आ गया। विसर्जन के लिए मां दुर्गा को ले जाने के पहले आरती हुई इसके बाद महिलाओं ने मातारानी की गांठ बांधी। क्योंकि जब कोई लड़की विदा होती है तो उसकी गांठ बांधने की परंपरा है। इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए महिलाओं ने गांठ बांधकर अखण्ड सौभाग्य का आशीर्वाद लिया। गाजे-बाजे के साथ मातारानी को विदा करने युवाओं की टोली निकल गई। उधर सिर पर जबारे रखकर महिलाएं चल रही थीं। जिला मुख्यालय के समीप बूढ़ा बांध, पचेर घाट, मऊसहानियां का जगत सागर तालाब, उर्मिल बांध विसर्जन के लिए प्रमुख स्थान निर्धारित किए गए थे। पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था रखी गई। मातारानी को विसर्जन के बाद दशहरा का पर्व शुरू हुआ। बुन्देलखण्ड में दशहरा को पान खाने और खिलाने की परंपरा है। शाम को इस पर्व के तहत लोग एक-दूसरे के घर गए और दशहरे की शुभकामनाएं दीं।