विद्युत कंपनी को घाटे से उबारने अपर मुख्य सचिव ने मांगा सहयोग
सतना(अंबिका केशरी)। बिजली बिलों का भुगतान सुनिश्चित नहीं हो पाने के कारण सतना सर्किल में पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को विगत वित्तीय वर्ष के दौरान 307 करोड की आर्थिक क्षति उठानी पडी है। इसी वर्ष 31 मार्च की स्थिति में बिजली बिल के मद में ही 225 करोड की राशि की वसूली नहीं हो पाई थी। कंपनी को घाटे से उबारने के लिए उर्जा तथा नवीन एवं नवकरणीय उर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव मनु श्रीवास्तव ने यहां के कलेक्टर अनुराग वर्मा को पत्र लिख कर सहयोग मांगा है। पत्र में स्पष्ट किया गया कि कनेक्शन काटने और वसूली शिविर लगाने के बाद भी यह हालत है। बता दें कि सतना सर्किल के विगत वित्तीय वर्ष का लेखा-जोखा देते हुए अपर मुख्य सचिव ने माना कि प्रति यूनिट पर औसत विद्युत प्रदाय कर 6.90 रूपए होने के बाद भी इस एवज में प्रति यूनिट पर सिर्फ 1.53 रूपए की राजस्व आय ही आ पाई है। यानि प्रति यूनिट पर 5.37 रूपए फंसे, जो औसत विद्युत प्रदाय दर की तुलना में 5 गुना है। आर्थिक गुणा-गणित बिगडने की एक और बडी वजह विभिन्न योजनाओं के तहत उपभोक्ताओं को मिलने वाली 378 करोड की छूट भी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में जिले के 3 लाख 26 हजार 70 उपभोक्ताओं को इस छूट का लाभ मिला। कलेक्टर को लिखे पत्र में अपर मुख्य सचिव ने मप्र गवर्नमेंट इलेक्ट्रिकल अंडर टेकिंग एक्ट 1961 के तहत बकाया बिजली उपभोक्ताओं के बिलों की वसूली संबंधितों के बैंक खातों से सीधे किए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने का सुझाव दिया है। जिला स्तर आम्र्स लाइसेंट के लिए विद्युत कंपनी से नो-ड्यूज की अनिवार्यता तय करने, इरादतन बिजली बिल जमा करने वाले बिजली उपभोक्ताओं और ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित कर कार्ययोजना बनाने में सहयोग करने, सरकारी दफ्तरों की रिकवरी वसूली सुनिश्चित कराने और जिला न्यायालयों में लंबित बिजली बिल प्रकरणों की समीक्षा, समन्वय एवं त्वरित निराकरण कराने में भी सहयोग की अपेक्षा की गई है। पत्र में यह भी कहा गया है कि घरेलू और कृषि क्षेत्र के बिलों की बकाया वसूली पर अभियान चलाने में प्राय: जन विरोध का सामना करना पडता है। ऐसे में कानून व्यवस्था बिगाडने की स्थिति बनती है। अत: राजस्व क्षति को रोकने के लिए जिला प्रशासन का सहयोग अपेक्षित है। असल में बिजली बिल जमा नहीं करने की प्रवृत्ति तेजी से बढ रही है।