तकनीकी सपने धूल में मिल गए, सीसीटीएनएस उपकरण जबलपुर को लौटाए
सतना। रेलवे स्टेशन की जीआरपी चौकी ऑफलाइन ही रहेगी। चौकी को हाइटेक बनाने और अपराध अनुसंधान के सेंट्रल साफ्टवेयर से जोडने के लिए लाए गए उपकरण 6 माह तक धूल खाने के बाद वापस भेज दिए गए है। रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म एक पर परक्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स लगाने के लिए एक छोटे रूम की जरूरत थी। लेकिन रेलवे जगह उपलब्ध नहीं करा पाया। जबलपुर से मार्च में सीसीटीएनएस उपकरण सतना चौकी भेज दिए गए थे। छह माह तक जीआरपी अपने लिए एक कमरा एलॉट नहीं करवा पाई। दो दिन पहले सतना से सीसीटीएनएस सेटअप जबलपुर मंगवा लिए गए। सतना व मैहर जिले के सभी थाने अर्से पहले ही सीसीटीएनएस से जुड गए थे लेकिन रेल पुलिस अभी भी पुराने तरीकों पर चल रही है। चौकी में फरियादियों की एफआइआर कागज पर लिखा जाती है। यही हाल अपराधियों के रिकॉर्ड का भी है। सीसीटीएनएस व्यवस्था में आने से सतना की चौकी प्रदेश के सभी थानों व कार्यालयों से जुड जाते जिससे अपराधों व अपराधियों की ट्रैकिंग सहित गुमशुदा के प्रकरणों में जांच व तलाश में तेजी आती। सतना जीआरपी में हर साल 500 से ज्यादा अपराध दर्ज होते है। अभी मैनुअल रिपोर्ट दर्ज होने से जीआरपी का समय व संसोधन दोनों बर्बाद होते है। रिपोर्ट को ऑनलाइन करने सतना जीआरपी रीवा जीआरपी थाना के सॉफ्टवेयर पर निर्भर है। जीआरपी अधिकारियों ने बताया कि चौकी में सीसीटीएनएस व्यवस्था का संचालन अप्रैल से होना था। दो बिग स्क्रीन कम्प्यूटर सिस्टम व अन्य उपकरण लगाने व ऑपरेटर के बैठने के लिए जितनी जगह चाहिए वह चौकी के बगल में नहीं मिली। चौकी तीन छोटे कमरों में चल रही है। एक कमरे में एफआइआर, लिखा-पढी से लेकर बैठकें होती है। एक कमरे में लॉकअप व एक कमरे में रिकॉर्ड रूम है।