न्यायालय ने दिया नपा सीएमओ के खिलाफ कुर्की का आदेश
छतरपुर। निष्पादन प्रकरण क्रमांक 13/2024 काशी बनाम मुख्य नगर पालिका अधिकारी छतरपुर एवं अन्य में असत्य प्रतिवेदन प्रस्तुत करने एवं बार बार आदेश पारित होने के पश्चात भी उसका पालन न करने के कारण, आवेदक काशी प्रसाद साहू के पत्र को संज्ञान में लेते हुए न्यायालय ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी छतरपुर के वाहन और कार्यालय के टेबल एवं कुर्सी को कुर्क करने के आदेश दिए हैं।
मुख्य नगर पालिका अधिकारी छतरपुर को स्थाई लोक अदालत (लोक उपयोगी सेवाओं से संबंधित मामले में) दिनांक 16 नवंबर 2022 के आदेश का पालन न करने एवं असत्य प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के संबंध में तथा स्थाई लोक अदालत के आदेश के पालन हेतु मुक्त नगर पालिका अधिकारी के वाहन एवं उनके कार्यालय के टेबल कुर्सी को कुर्क करने संबंधी न्यायालय द्वारा आदेश जारी किया गया।
विदित हो कि आवेदक काशीप्रसाद साहू का भवन छत्रसाल चौराहा महल रोड जिला चिकित्सालय के सामने स्थित है। जिसमें स्थित दुकान में आवेदक का पुत्र जीतेन्द्र साहू महाजन मेडिकल स्टोर के नाम से दुकान संचालित करता है। वर्ष 2016 के सितम्बर माह में छत्रसाल चौराहा से महल रोड की ओर पूर्व दिशा में आर.सी.सी. का फुटपाथ बनाया गया, किन्तु अन्य मिठाई व फल विक्रेता द्वारा दक्षिण से उत्तर की ओर बहाए जाने वाले गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं की गई। जिससे बरसात का पानी जमा हो रहा है। नवनिर्मित फुटपाथ के आगे कच्चा सेपटिक टेंक बना है दुकान के आस-पास गंदा पानी जमा हो रहा है। आवेदक द्वारा इस संबंध में मुख्यमंत्री हेल्प लाईन पर शिकायत की गई किंतु शिकायत का कोई निराकरण नहीं किया गया। आवेदक द्वारा न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया और समस्त दस्तावेज प्रस्तुत किए गए जिसके जवाब में नपा सीएमओ ने न्यायालय में जवाब दिया कि नगरपालिका छतरपुर द्वारा छत्रसाल चौराहा महल रोड जिला चिकित्सालय के सामने बह रहे गंदे पानी की निकासी के लिए समुचित व्यवस्था कर दी गई है। उक्त स्थान पर पक्की नाली का निर्माण आगे किया जावेगा। इसके बाद नपा द्वारा वहां कोई नाली निर्माण नहीं कराया गया बल्कि उक्त आवेदक के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया गया। इस पर आवेदक काशी प्रसाद साहू ने न्यायालय को फिर अवगत कराया। अब न्यायालय ने आदेश जारी कर नपा सीएमओ के खिलाफ कुर्की का आदेश पारित किया है। गौरतलब है कि उक्त प्रकरण में स्थाई निरंतर लोक अदालत एवं लोकोपोयोगी अदालत द्वारा आदेश पारित किया गया था जिसका निष्पादन माननीय न्यायालय द्वारा किया गया।