लोकसभा चुनाव 2019 के मुकाबले कांग्रेस की सियासी इस बार रंगत बदली हुई नजर आ रही है। खासकर  प्रियंका वाड्रा गांधी के चुनाव प्रचार का तरीका बिलकुल बदल गया है। वह अपने भाषणों में अपने पिता स्व. राजीव गांधी के समय की अमेठी, उनकी यात्राएं, उनकी शहादत से जुड़ी यादों को साझा करती हैं। पारिवारिक रिश्ते की दुहाई देते हुए अमेठी से कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने की अपील करती हैं। छोटी-छोटी जनसभाएं करने के साथ वह जनता से संवाद भी करती हैं। किसी को भैया करके संबोधन करती हैं तो किसी को माई कहकर उनका हालचाल पूछती हैं।

पिता के साथ आते थे अमेठी
कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी अपने भाषणों में कहती है कि जब हम छोटे थे तो अपने पिता के साथ अमेठी आते थे। अमेठी में उन्हें काम करते देखा है। वह बताती हैं कि अमेठी मेरा वो परिवार है जिसके साथ भावनात्मक रिश्ता है। यह रिश्ता कभी नहीं टूटेगा। कार्यकर्ताओं से वह कहती हैं कि आपने पहले भी कठिन परिस्थितियों में चुनाव जीता है। पूरा जोर लगाइए और जीत कर दिखाइए। मैं यहां आई हूं, आपके साथ मिलकर लडूंगी और यह चुनाव जीतकर दिखाऊंगी। 
एक नेता और जनता के बीच में कैसा रिश्ता होना चाहिए, इसकी सीख मुझे अपने पिता से मिली है। आप सब जानते हैं मेरे पिताजी एक बहुत नेक इंसान थे, दिल बहुत साफ था, ईमानदार थे। वह लोगों को बताती हैं कि पहली बार वह 20-25 दिनों के लिए यहां अपनी माता जी के साथ उनके प्रचार में आई थी। यहां ततारपुर का जो गेस्ट हाउस था वहां पर हम लोग रहते थे। प्रचार भी अलग तरह से होता था। गांव-गांव जाते थे। मैं माता जी के पीछे-पीछे जाती थी। पिताजी चुनाव जीते प्रधानमंत्री बने। वह कहती है कि आपके और मेरे परिवार के बीच राजनीतिक रिश्ता नहीं था। एक प्रेम का रिश्ता था, श्रद्धा का रिश्ता था, सत्य का रिश्ता था। फिर मेरा भाई यहां आया, सांसद बने आपके लिए खूब काम किया, विकास किया। उसके बाद पूरे देश में एक नई तरह की राजनीति आई। यह राजनीति शुरू में मैं समझ नहीं पाई, क्योंकि हमारी सभ्यता ही अलग थी। हमें सिखाया गया था कि जनता के सामने झूठ मत बोलो। हमें सिखाया गया था कि जनता का आदर करो। कुल मिलाकर प्रियंका गांधी के चुनावी प्रचार में भावुकता झलकती है और इसके एवज में उन्हें भाजपा के गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ रहा है।