सूदखोरों की पिटाई से घायल युवक ने दम तोड़ा
ग्वालियर। सूदखोरों की पिटाई से घायल युवक ने दिल्ली के एक अस्पताल में 10 दिन बाद इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। घटना मध्य प्रदेश के ग्वालियर की है। युवक ने बच्चों की फीस जमा करने के लिए सूदखोरों से रुपए उधार लिए थे। फायरिंग और युवक की पिटाई का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है। युवक का शव ग्वालियर आते ही गुस्साए परिजनों और रिश्तेदारों ने 5 सूत्रीय मांगों को लेकर हनुमान चौराहे पर चक्का जाम किया। मृतक के परिजनों ने पुलिस और डॉक्टर्स की कार्रवाई पर बड़े सवाल खड़े किए हैं। वहीं गुस्साए लोगों को बमुश्किल समझा पाने के बाद पुलिस चक्का जाम बहाल करा सकी।
जनकगंज थाना अंतर्गत जीवाजी गंज स्थित नागदेव की गली में रहने वाला भीमा उर्फ दीपक सविता सैलून पर काम करता था। दीपक ने ऋषभ तोमर नामक एक युवक से 20 हजार रुपए बच्चों की फीस जमा करने के लिए उधार लिए थे। ऋषभ ने 20 अगस्त को जीवाजी गंज स्थित कार्तिकेय मंदिर के पास तकादा करने के लिए दीपक को बुलाया था। दीपक जब ऋषभ के बताए स्थान पर पहुंचा तो उसे कुछ दोस्त मिल गए। इस दौरान दीपक उनसे बात कर रहा था। तभी बाईक पर सवार होकर ऋषभ अपने दोस्त पीयूष लोधी के साथ पहुंच गया और कट्टे से फायर कर दिया। इसके बाद दीपक को जमीन पर गिराकर लात घूसों से उसकी बेरहमी से पिटाई की गई। इस मारपीट में दीपक बेहोश हो गया। घटना का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है। घटना के बाद जीप में सवार पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी। गंभीर रूप से घायल दीपक को इलाज के लिए जयारोग्य अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था। जहां पर कुछ देर इलाज करने के बाद दीपक की हालत गंभीर होने पर उसे दिल्ली रैफर कर दिया गया था। दीपक दो भाइयों में सबसे छोटा है। दीपक का बड़ा भाई बीमार रहता है इसलिए घर का जिम्मा दीपक पर था। दीपक एक बेटा और एक बेटी का पिता है। हालांकि दीपक पर हुए हमले के बाद पुलिस दोनों आरोपियों ऋषभ तोमर और पीयूष लोधी को पकड़ लिया था। दोनों हमलावरों के खिलाफ पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था। दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया था। लेकिन दोनों आरोपी अब जमानत पर हैं। 10 दिन बाद यानी आज शनिवार सुबह दीपक सविता ने दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। देर शाम दीपक का शव ग्वालियर लाया गया। इसके बाद गुस्साये परिजन और रिश्तेदारों ने हनुमान चौराहे पर चक्का जाम कर दिया। पता चला है कि सूदखोरों को 20 हजार रुपए की बजाए 60 हजार रुपए दे चुका था और सूदखोर उससे 20 हजार रुपए और देने के लिए दवाब बना रहे थे। गुस्साए लोगों की मांग है कि मृतक के परिजन को 50 लाख का मुआवजा, घर के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, दोनों आरोपियों के घर पर बुलडोजर कार्रवाई, दोनों आरोपियों को फांसी की सजा और इस मामले से जुड़े पुलिसवालों और डॉक्टर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। बमुश्किल समझाइश के बाद आक्रोशित लोगों ने चक्का जाम बहाल किया। मृतक दीपक की बहन वंदना सविता का कहना है कि सूदखोरों ने दीपक को बुरी तरह से पीटा था, जिसके चलते वह सड़क पर लेटा रह गया था। पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई की थी, दोनों आरोपियों को जेल भेजा था। लेकिन पिटाई में गंभीर रूप से घायल दीपक की मौत हो गई है। जबकि आरोपियों को जमानत मिल गई है। अगर दीपक पर जानलेवा हमला हुआ था तो आरोपियों को इतनी जल्दी जमानत कैसे दे दी गई ? मृतक की बहन ने पुलिस कार्रवाई के साथ ही डॉक्टर्स की मेडिकल रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए हैं। मृतक के पिता जगदीश सविता ने पुलिस और डॉक्टर्स पर आरोपियों के साथ सांठगांठ होने का गंभीर आरोप लगाया है। साथ ही जवान बेटे की हत्या होने के चलते उनको न्याय दिलाए जाने की गुहार लगाई है। वहीं जनकगंज थाना प्रभारी दीपेंद्र सिंह चौहान का तर्क है कि घटना के बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। पकड़े गए दोनों आरोपियों के विरुद्ध गंभीर धाराओं में कार्रवाई की गई थी। फिलहाल पुलिस को मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार है। अगर रिपोर्ट में मारपीट के कारण या मूंदी चोट के कारण दीपक सविता की मौत होने की पुष्टि होगी तो पुलिस इस मामले में धाराएं बढ़ाकर न्यायालय से दोनों आरोपियों की जमानत निरस्त करने की मांग करेगी।