जौनपुर और उससे सटी मछलीशहर लोकसभा सीट पर चुनाव बेहद दिलचस्प मोड़ पर है। मंगलवार को जौनपुर में बसपा सुप्रीमो मायावती की रैली में जुटी भीड़ ने यह अहसास जरूर कराया कि भले ही इस सीट से धनंजय सिंह या उनकी पत्नी चुनाव नहीं लड़ रहे हैं मगर बसपा को कमजोर आंकने की भूल भारी पड़ सकती है। यहां त्रिकोणीय लड़ाई के आसार हैं। वहीं मछलीशहर सीट पर तीनों ही प्रमुख दलों के प्रत्याशी एक ही बिरादरी से होने की वजह से यहां मुकाबला बेहद नजदीकी होने की उम्मीद जताई जा रही है। प्रस्तुत है दोनों ही लोकसभा सीटों का दौरा करने वाले अमर उजाला के संवाददाता राहुल दुबे की यह रिपोर्ट..

फिलहाल लड़ाई त्रिकोणीय मुकाबले से बाहर

जौनपुर पूर्वांचल की ऐसी लोकसभा सीट है, जिसने नामांकन से पहले तक हर रोज न सिर्फ राजनीतिक पंडितों बल्कि मतदाताओं को भी चौंकाया है। चाहे भाजपा का टिकट घोषित करना हो या फिर सपा से बाबू सिंह कुशवाह का चुनाव मैदान में उतारना। बसपा से श्रीकला रेड्डी का आना और फिर वापस होना, कुछ ही दिनों धनंजय सिंह का भाजपा को समर्थन देने की बात कहना। मतदाता यही सोचते रहे कि राजनीति का ऊंट कितने करवट बदलेगा।

भाजपा ने दो मार्च को महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री रह चुके कृपाशंकर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा तो सब चौंक गए। कृपाशंकर सिंह जौनपुर के सहोदपुर गांव के मूल निवासी हैं, मगर राजनीति की गहरी जड़े उनकी मुंबई में भी हैं। दरअसल जौनपुर का मुंबइया कनेक्शन ऐसा है कि लगभग हर छठे घर से एक आदमी मुंबई में हैं। इधर, धनंजय सिंह ने चुनाव लड़ने की तैयारी की, मगर नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर के अपहरण और रंगदारी वसूलने के एक मामले में छह मार्च को जौनपुर की विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने दोषी मानते हुए उन्हें सात साल की सजा सुना दी।
ऐसे में वह चुनाव की दौड़ से बाहर हो गए। इससे समीकरण फिर बदल गए। इस बीच बसपा ने मौजूदा सांसद श्याम सिंह यादव का टिकट काटकर धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को मैदान में उतार दिया तो मुकाबले में जान आ गई और मगर छह मई को बसपा ने श्रीकला का टिकट काटकर मौजूदा सांसद श्याम सिंह यादव को मैदान में उतार दिया। 14 अप्रैल को सपा ने बाबू सिंह कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाकर सभी को चौंका दिया। पत्नी का टिकट कटने के बाद धनंजय सिंह ने भाजपा को समर्थन देने की बात कही। 

धनंजय सिंह से बात किसने की

धनंजय सिंह चुनावी मैदान से बाहर हों, भाजपा को समर्थन दें, भाजपा के शीर्ष नेताओं से मिले, नए सिरे से राजनीति शुरू करें, ऐसे कई सवाल सभी के मन में हैं कि इन सब धनंजय सिंह को मनाने के लिए उनसे बात किसने की। इसका जवाब जौनपुर की मौजूदा राजनीति में भाजपा के केंद्र बिंदु के नेता देते हैं। वे कहते हैं कि किसी ने बात नहीं की। भाई हैं मेरे तो मैंने खुद ही बात की। मैंने उनसे कहा कि अब आप चुनाव में नहीं है तो निर्दलीय जीतना मुश्किल होगा। ऐसे में क्यों न भाजपा को ही सपोर्ट करो और नए सिरे से राजनीति शुरू करें। अच्छी बात है कि वह मान गए, और अब नतीजा सभी के सामने हैं।

मछलीशहर: इस बार भी मुकाबला कांटे का

मछलीशहर लोकसभा सीट पर जातीय मुद्दा नहीं है। कारण प्रमुख राजनीतिक दलों से सभी सरोज ही हैं, यानी भाजपा से मौजूदा सांसद बीपी सरोज, सपा से प्रिया सरोज और बसपा से कृपाशंकर सरोज। भाजपा ने पिछले चुनाव में इस सीट पर मात्र 181 वोटों से जीत हासिल की थी। इस बार जीत का आंकड़ा कुछ बड़ा हो सकता है। यहां भी मुकाबला दो दलों के बीच ही सिमटता दिख है। मछलीशहर के मतदाताओं ने हर दल को आजमाया है। पहले तीन चुनाव में कांग्रेस, इसके बाद बीएलडी, जनता पार्टी, जनता दल, भाजपा और फिर बसपा-सपा की बारी आई। पिछले दो चुनाव से भाजपा जीत रही है। भाजपा ने मौजूदा सांसद बीपी सरोज को ही टिकट दिया है तो सपा ने युवा चेहरा अधिवक्ता प्रिया सरोज को मैदान में उतारा है। प्रिया सपा विधायक तूफानी सरोज की बेटी हैं। पिछले एक महीने तक चुनाव एकतरफा जैसा हो गया था। मगर हवा बदली और अब मुकाबला कड़ा है। बसपा ने पूर्व आईएएस कृपाशंकर सरोज को उतारा है। पिछले कुछ चुनाव के आंकड़े देखें तो बसपा का कैडर वोट यहां पार्टी के साथ मजबूती से खड़ा दिखाई देता है। इसी के बलबूते बसपा खुद को मजबूत मान रही है।

यहां तीनों प्रत्याशी एक बिरादरी से हैं तो तीनों का जोर सवर्ण वोटों पर है। यादव वाेट में बिखराव नहीं हुआ तो सपा यहां भाजपा को कड़ी टक्कर देगी। इसी तरह भाजपा ने सवर्ण समाज के मतदाताओं में सेंधमारी रोक ली और गैर यादव ओबीसी को अपने साथ मिलाया तो परिणाम फिर एक बार भाजपा के पक्ष में जा सकता है। इसके अलावा जिसे भी जीत चाहिए, उसे दलित वोट बैंक से एक हिस्सा अपनी ओर लाना होगा। 

पिछड़ों में भी यादवों की संख्या सबसे अधिक

मछलीशहर में पिछड़े और दलित मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। पिछड़ों में भी यादवों की संख्या सबसे अधिक है। पिछड़ों के बाद अनुसूचित जाति मतदाता दूसरे नंबर पर हैं। इसके बाद ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ, मुस्लिम और अन्य जाति के मतदाता है।

2019 का चुनाव परिणाम

बीपी सरोज (भाजपा) 4,88,397
त्रिभुवन राम (बसपा) 4,88,216
कुल मतदाता 19.23 लाख
पुरुष मतदाता 10.06 लाख
महिला मतदाता 9.16 लाख