दिल्ली में हर दूसरा टीबी रोगी कुपोषण का शिकार है। साथ ही राजधानी के अधिकांश टीबी रोगी पूरा और समय पर उपचार भी नहीं ले रहे हैं। यह खुलासा दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने एक सर्वे के जरिये किया है। द जर्नल ऑफ इंफेक्शन इन डेवलपिंग कंट्री में प्रकाशित इस अध्ययन में डॉक्टरों ने बताया कि ज्यादातर मरीजों ने उपचार न लेने के पीछे लक्षण दिखाई नहीं देने का कारण बताया। जबकि 43 फीसदी लोग खुद को मरीज ही नहीं मान रहे हैं।

टीबी रोग को लेकर पहले की तुलना में अब काफी हद तक स्वास्थ्य सेवाएं आसान हुई हैं। सरकारी अस्पतालों में इसका उपचार उपलब्ध है। बावजूद इसके लोगों में अभी भी जागरूकता की काफी कमी है। वहीं मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की ही डॉ. प्रज्ञा शर्मा ने बताया कि हर मरीज में टीबी संक्रमण के लक्षण दिखाई देना जरूरी नहीं होता है। कई बार लक्षण न होने के बाद भी रोगी संक्रमित होता है और अंदर ही अंदर उसकी प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होती है। ऐसे मरीजों में अचानक से कब क्या हो जाए? इसके बारे में कोई आकलन भी नहीं कर सकता है। धीरे धीरे जब इसे लेकर दिक्कत आने लगती है तो रोगी को देरी नहीं करनी चाहिए। इस उपचार में देरी काफी नुकसानदायक हो सकती है।