छतरपुर। शहर के ऑडिटोरियम में मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग और मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय ने रंग जमा रखा है।जिला प्रशासन छतरपुर के सहयोग से पांच दिवसीय रंग प्रयोग नाट्य समारोह के अंतर्गत दूसरे दिन लेखक नील सायमन द्वारा लिखित नाटक सुहाने अफसाने का मंचन किया गया। इस नाटक में प्रख्यात रूसी नाटककार एंटोन चेखव की छह कहानियों को पिरोया गया था जिसे खचाखच भरे ऑडिटोरियम के  दर्शकों ने भरपूर सराहा। आयोजन के दौरान एस पी अगम जैन सपत्नीक उपस्थित रहे लेकिन वे एक आम दर्शक की तरह तीसरी पंक्ति में बैठकर नाटक का आनंद लेते नजऱ आए।
नाटक का कथासार
सुहाने अफसाने नाटक में क्रमश: पांच कहानियां का मंचन होता है जो हल्के फुल्के हास्य से शुरू होकर त्रासदी पर जाकर खत्म होतीं हैं। एक कहानी लेखक सूत्रधार के माध्यम से कहानियां आगे बढ़ती हैं जिसमे पहली कहानी में एक अदना कर्मचारी फिल्म देखने के दौरान अपने अफसर पर छींक देता है। ग्लानि होने पर वह माफ़ी मांगता है और अफसर उसे सामान्य बात कहकर हल्के में लेकर माफ कर देता है लेकिन घर आकर चिरौंजीलाल नामक क्लर्क को अहसास होता है कि साहब ने शायद उसे पूरे मन से माफ नहीं किया इसलिए वह उनके घर जाकर पुन: माफी मांगता है। अफसर थोड़ा खीझकर उसे जाने के लिए कहता है।ये सारे दृश्य सहज हास्य उत्पन्न करते हैं। यह सिलसिला एक दो बार और होने के बाद अंतत: क्लर्क को लगता है कि एक छोटी सी छींक ने उसका जीवन तबाह कर दिया है इसी ग्लानि के वशीभूत होकर क्लर्क फांसी लगा लेता है और इस कहानी का त्रासद अंत होता है। अगली कहानी एक मालकिन और उसकी आया की है जो बच्चों को भी पढ़ाती है।महीने का हिसाब करते हुए मालकिन कई बहाने बनाते हुए उसकी सैलरी काटकर 9 हजार से एक हजार तक ले आती है। जब इतना लेकर भी आया खुशी से वो पैसे स्वीकार कर जाने लगती है तो फिर मालकिन कहती है कि वो मज़ाक कर रही थी और किसी को इतना भी सीधा और मूर्ख नहीं होना चाहिए जो अपने हक़ के लिए आवाज़ ही न उठा सके।
अगली कहानी एक रंगीन मिज़ाज युवा गौतम सिंघानिया की है जो दूसरों की बीवी हासिल करने की फिराक़ में रहता है और उसे कामयाबी भी मिलती है। लेकिन कहानी के अंत में जब मधुरा नामक विवाहित महिला उससे मिलने आती है और अपनी बात शिद्दत से रखती है तो उसका ये खेल वहीं बंद हो जाता है। चौथी कहानी समुद्र में गोते लगाने वाले एक युवक की है जिसमे वह अपनी रोजी रोटी के लिए समुद्र किनारे टहल रहे लोगों को बहला कर उसका करतब देखने के लिए मनाता है। इस कहानी का अंत भी त्रासदीपूर्ण होता है जब वह गोताखोर अपने एक दर्शक से कहता है कि तीन बार की डुबकी के बाद उसके दोस्त का नाम पुकार देना जो पास की गुमटी में चाय पी रहा है,उसे पानी से बाहर निकालने वही आएगा क्योंकि मुझे तैरना नहीं आता।उस दोस्त का नाम इतना लंबा और कठिन होता है कि ये तमाशा देखने वाले दर्शक को याद नहीं रहता। पानी में छलांग लगाने के बाद जब तीसरी डुबकी पर दर्शक उसके दोस्त को पुकारने का उपक्रम करता है तो उसे नाम ध्यान नहीं आता।यहीं कहानी का अंत हो जाता है।
अगली कहानी एक कस्बे से फाइल का ऑडिशन देने आई एक लड़की की है जिसे डायरेक्टर यह सोचकर नजरंदाज कर देता है कि ये कहां टिकेगी। लेकिन जब लड़की अपने पिता की मौत को यादकर अपना भावपूर्ण ऑडिशन देकर जाती है जो कि सबकी आंखें नम कर देता है तब डायरेक्टर को अहसास होता है कि इसके मुकाबले कोई टिकने वाला नहीं है।
अंतिम कहानी में एक बाप अपने बेटे को जिंदगी के हर रंग से वाकिफ करने के लिए उसके 19 वें जन्मदिन पर कोठे वाली के पास ले जाता है।बेटा सहमा हुआ सा एक कोने में बैठा रहता है लेकिन मोलभाव के बाद जब बाप बेटे को कोठेवाली के पास जाने का इशारा करता है तो बेटा उसकी देहरी पर जाकर कहता है कि अब वह सम्पूर्ण आदमी बनकर लौटेगा और उसे किसी की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। इतना सुनते ही बाप को गलती का अहसास होता है और वह उसे वहीं से लौटाकर घर ले जाता है। इस नाटक में संगीत संचालन सागर शुक्ला का था तो वहीं प्रकाश संचालन प्रसन्न सोनी ने किया। मंच परिकल्पना एवं निर्देशन विद्यानिधि बनारसे का था।
आज होगा पुनश्च कृष्ण का मंचन
रंग प्रयोग नाट्य समारोह के चौथे दिन शनिवार को मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय के निदेशक टीकम जोशी के निर्देशन में पुनश्च कृष्ण का मंचन किया जाएगा। डॉ रमा यादव के लिखे इस नाटक में श्रीकृष्ण की कथाओं के माध्यम से अनगढ़ स्वरूप की विवेचना की जाती है। इस नाटक के माध्यम से कृष्ण की 16 कलाओं को दर्शाने का प्रयास लेखिका ने किया है।लगभग 30 कलाकारों की टीम इस नाटक में अपने अभिनय का जौहर दिखाएगी।
नाट्य समारोह के स्थानीय संयोजक रंगकर्मी शिवेन्द्र शुक्ला ने जानकारी देते हुए बताया कि यह नाट्य समारोह छतरपुर के दर्शकों के लिए पूर्णत: निशुल्क है लेकिन दर्शक समय का विशेष ध्यान रखें क्योंकि प्रस्तुतियां शाम सात बजे से प्रारंभ हो जाती हैं।