छतरपुर। छतरपुर विधायक ललिता यादव ने महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय छतरपुर में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनियमित तरीके से आउटसोर्स परामर्शी नियुक्तियों एवं क्रय की गई सामग्री में हुए भ्रष्टाचार के लिए कुलपति एवं कुलसचिव की कार्यशैली को लेकर विधानसभा में प्रश्न लगाए हैं।
ज्ञात हो कि महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय अपनी स्थापना 2015 के साथ परीक्षा, सामग्री, निर्माण को लेकर हमेशा चर्चा में रहा है, कई बार विभिन्न छात्र इकाई कुलपति एवं कुलसचिव के भ्रष्टाचार के विरूद्ध आंदोलन कर चुके हैं। विश्वविद्यालय में एकेडमिक एवं अध्ययन अध्यापन कार्य न होने तथा छात्रों को परीक्षा में पानी तक की व्यवस्था न होने के आरोप लगाते रहे हैं। 2015 से लेकर 2024 तक विश्वविद्यालय को  न तो यूजीसी से एक रूपया मिला है और न 12-बी कराया गया न नेक का निरीक्षण हुआ है जिस कारण विश्वविद्यालय का आडिट आज तक नहीं हुआ इसलिए कुलपति एवं कुलसचिव मनमाने तरीके से नियम विरूद्ध विश्वविद्यालय में जमा 100 करोड़ की राशि को खर्च करने में लगे हैं। एक समय महाराजा कॉलेज का पूरे प्रदेश में नाम था आज विश्वविद्यालय का भ्रष्टाचार में प्रदेश में नाम है।
ललिता यादव ने विधानसभा में क्या प्रश्न उठाए?
विधानसभा में छतरपुर विधायक ललिता यादव ने उच्च शिक्षा मंत्री से पूछा है कि विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्रों की फीस व अन्य साधनों से प्राप्त आय को विश्वविद्यालय के अधिकारी बिना स्वीकृति के खर्च कर सकते हैं क्या? यदि खर्च नहीं कर सकते हैं तो इस पर क्या कार्यवाही होगी और प्रश्न दिनांक तक विश्वविद्यालय में इस तरह से कितनी राशि खर्च की गई।
एक अगले प्रश्न में उन्होंने पूछा कि विश्वविद्यालय में कितने शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक पद पुर्नसंरचना आदेश के तहत स्वीकृत किए गए। एक अन्य प्रश्न में उन्होंने पूछा कि महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय छतरपुर में वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 में खेलकूद, युवा उत्सव, कबड्डी एवं दीक्षांत समारोह में कितनी राशि व्यय की गई। एक अन्य प्रश्न में उन्होंने पूछा कि विश्वविद्यालय में जुलाई 2023 से डॉ. हिमांशु अग्रवाल, डॉ. केके गंगेले, डॉ. सीएल प्रजापति, डॉ. केपी अहिरवार व डॉ. अनिल साहू द्वारा प्रश्न दिनांक तक जैम पोर्टल से सीधे क्या-क्या सामग्री खरीदी गई। ललिता यादव के इन प्रश्नों से विश्वविद्यालय में हड़कंप मचा हुआ है।